विराट कोहली और उनके परिवार से जुड़ी दो अहम सीख

यूँ तो कोहली आज राष्ट्रपति पद के दावेदार हो गए है लेकिन राष्ट्रचहेते तो वो 20 बरस की उमर से ही हो गए थे। महज 8 फर्स्ट क्लास मैच खेलने के बाद ही कोहली को भारतीय क्रिकेट टीम के लिए चुन लिया था। इससे पहले वो रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के साथ यूथ कॉन्ट्रैक्ट के तौर पर जुड़े। इसके लिए टीम ने उन्हें 30 हजार डॉलर का भुगतान किया। वही कोहली आज एक इंस्टाग्राम पोस्ट का 11.45 करोड़ रूपये चार्ज करते है।

इसीलिए कहते है कि सपने उन्हीं के पूरे होते है जो सपने देखते है कुछ समय लेकिन उसके लिए मेहनत करते है हर समय…

विराट कोहली के खेल से तो आप सभी सुपरिचित है लेकिन उनके परिवार के जुनून से आप सभी लोग कम जी परिचित होंगे। विराट जब क्रिकेट के बल्ले को देखकर झूमने लगते थे और उनके आँखों की चमक ये बताने को काफी होती थी कि वकील साहब का ये लड़का आगे चलकर क्रिकेटर बनेगा… तो उन्हें एक पश्चिम विहार की एक क्रिकेट अकादमी में भर्ती कराया जाता है।

अब उत्तम नगर में रहने वाले विराट के लिए रोजाना यात्रा करके पश्चिम विहार जाना बहुत मुश्किल भरा होता था। ऐसे में उनका परिवार ये निश्चय करता है कि अब पश्चिम विहार ही शिफ्ट हो जाया जाएं। और फिर वो परिवार सहित पश्चिम विहार आ जाते है। आपको ये बताते चलूं कि विराट कोहली पंजाबी हिन्दू परिवार से आते है और उनका परिवार वहाँ काफी समय से रहता है। इसके साथ ही उनके रिश्तेदार और जानने वाले भी वहाँ रहते है।

ऐसे में एक परिवार के लिए अपने घर को छोड़ना बेहद कठिनाईपूर्ण निर्णय होता है। क्योंकि अब उनके सामने एक नए मकान को घर बनाने की चुनौती भी है। फिर भी उनके घर वाले इस निर्णय को लेते है और विराट उन्हें निराश भी करते है। मैं आप सभी से ये वृत्तांत इसलिए भी साझा कर रहा हूँ क्योंकि अभी भी बहुत से गार्जियन बच्चों पर अपने सपनों की रसीद चिपकाते है लेकिन बच्चों के सपने पर अपनी मूलभूत सुविधा की कुर्बानी बहुत कम लोग देते है। ऐसे में सोचने का नजरिया थोड़ा सा संतुलित होना चाहिए। संतुलित इसलिये बोले क्योंकि हर बच्चा विराट नहीं बन सकता!

कोहली के पारिवारिक संघर्ष के कमरे से अब निकलते है और अब कोहली के व्यक्तिगत संघर्ष के ऐसे दरवाजे में प्रवेश करते है जो हम सबके लिए अनुभवजन्य साखी सा है। यह समय था- 2014। कोहली अब तक क्रिकेट फैन के दिलों में एक खास मुकाम हासिल कर चुके थे। फिर आता है इंग्लैंड का दौरा।

एक ऐसा दौरा जिसे कोहली कभी न भूल सकते है। कोहली ने इस दौरे के दौरान खेली गई 5 टेस्ट की 10 पारियों में 13.50 की औसत से 134 रन बनाए थे। उन्होंने 1, 8, 25, 0, 39, 28, 0,7, 6 और 20 रन की पारियां खेली थीं। कोहली का स्टारडम अब तक बिखर चुका था। दर्शकों की तालियाँ अब तक गालियों में तब्दील हो गई थी। आत्मविश्वास से लबरेज रहने वाले कोहली डिप्रेशन के शिकार हो चुके थे। साथियों की संगति में रहने वाले कोहली किसी से भी बात करने से कतराते थे। 

ऐसे में कोहली ने भविष्य की बेहतरीनी के लिए अतीत पर निगाहें इनायत की। उन्हें 90s के दौर की भारतीय क्रिकेट टीम दिखी। उन्हें दिखा कि टीम कैसे इस दौर में उतार-चढाव से गुजरती है फिर भी अस्तित्वमान रहती है। इसके बाद उन्होंने बाउंसबैक किया। और ऑस्ट्रेलिया के दौरे में 4 टेस्ट में 692 रन बनाएं। इतना ही नहीं उन्होंने 4 शतक भी जड़ा। 

इसी के साथ विराट कोहली को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं और ये शुभेच्छा भी कि आज शतक जड़कर लीजेंड सचिन तेंदुलकर के 49 शतकों कज बराबरी करें ।

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