रश्मिका मंदाना और डीप फेक टेक्नोलॉजी

रश्मिका मंदाना भारत की एक बेहद जहीन अदाकारा है। सीता रामम, पुष्पा और गीथा गोविंदम जैसी फिल्मों में उन्होंने शानदार अभिनय किया है। इस बीच वो इसलिए चर्चा में है क्योंकि उनके नाम से एक बिकिनी वीडियो वायरल किया जा रहा है जो वास्तव में उनका वीडियो नहीं है।

जनता चटकारे लेकर उस वीडियो की रील, फ़ोटो डाल रही है गोया रश्मिका ने स्वयं ही उसे जनहित में जारी किया। खैर! उस जनता से क्या ही जिम्मेदारी की उम्मीद करें जो बादल गरजने पर ही मूसलाधार बारिश के ट्वीट कर देती है।

हालांकि इसी जनता का अपना या किसी अपने का यदि कोई फेक वीडियो या फ़ोटो वायरल होता है तो नैतिकता की दुहाई देती है। हमारी जनता अपने मामले में सबसे बड़ी वकील और दूसरे के मामले में सबसे बड़ी जज होती है। एक ऐसी जज जो फैसला सुनाने से पहले तमाम सुबूतों और गवाहों को मद्देनजर न रखते हुए बस अपनी अंतरात्मा की आवाज और क्षणिक मजे को आधार बनाती है।

अभी जनता रश्मिका मंदाना को उनके एक फर्जी वीडियो के लिए ट्रोल कर रही है जिसे साइबर क्राइम की भाषा मे डीप फेक कहा जाता है। एक ऐसी बुरी तकनीक जो किसी एक व्यक्ति की फोटो और आवाज को किसी दूसरे व्यक्ति की फ़ोटो और आवाज से प्रतिस्थापित कर देती है। ऐसा करने के पीछे दो कारण होते है- एक तो किसी को बदनाम कर आनंद की अनुभूति करना, दूसरा किसी को बदनाम कर उसे ब्लैकमेल करना।

रश्मिका मंदाना के मामले में तो ये स्पष्ट तौर पर दिखता है कि ऐसा कुकृत्य उन्हें जनता के बीच बदनाम करने लिए ही किया गया है। इस मुद्दे पर रश्मिका मंदाना ने जो कहा, वो हम सभी को पढ़ना चाहिए-

“इस तरह की चीज़ें न सिर्फ़ मेरे लिए ख़ौफ़नाक हैं बल्कि ये उनके लिए भी हैं जो तकनीक के दुरुपयोग की वजह से असुरक्षित हैं, जिन्हें बहुत नुकसान हो सकता है. आज एक महिला और एक एक्टर होने के नाते, मैं अपने परिवार, दोस्त और शुभचिंतकों की शुक्रगुज़ार हूं जो मेरे सुरक्षा कवच की तरह हैं, सपोर्ट सिस्टम हैं. लेकिन अगर ये मेरे साथ उस वक्त हुआ रहता जब मैं स्कूल या कॉलेज में थी, तो मैं वाकई ये बता नहीं सकती कि इसका सामना कैसे करती. हमें एक समुदाय के तौर पर इससे जल्द निपटने की ज़रूरत है, इससे पहले कि और लोग इससे प्रभावित हों.”

उनका ये कथन हमें एक व्यक्ति और समाज के तौर पर खुद के भीतर झांकने हेतु प्रेरित कर रहा है। हम एक ऐसे समाज मे रह रहे है जहाँ छिपे हुए डिजिटल वहशी किसी की भी इज्जत को तार-तार कर सकते है। हमें एक नागरिक के तौर पर स्वयं तो जागरूक होना ही चाहिए। इसके साथ ही अपने इर्द गिर्द की महिलाओं को खास तौर पर जागरूक करना चाहिए… कि यदि उनके साथ ऐसा कुछ हो रहा है तो वो तुरंत ही इसकी रिपोर्ट साइबर सेल को दें। क्योंकि कई बार एक चुप्पी हजार मुसीबतों को दावत देती है।

किसी स्त्री का डीप फेक बनाने वाला अधमी या तो उस स्त्री को पैसा के लिए ब्लैकमेल कर सकता है या जबरन दैहिक संबंध बनाने के लिए कह सकता है या महज मजे के लिए उसे समाज मे नीचे गिरा सकता है। यदि समय रहते इन पर कार्रवाई कर दी जाती है तो न सिर्फ ऐसा करने की सोचने वालों के भीतर भय की व्याप्ति होगी बल्कि ऐसे अपराधों में भी कमी आएगी।

(नोट- मैंने इस पोस्ट में रश्मिका मंदाना की वो डीप फेक वीडियो इसलिए न डाली क्योंकि ऐसा करके मैं डीप फेक वीडियो क्रिएट करने वाले उस अधमी के कार्य को और ज्यादा ही प्रमोट करूँगा। आप भी यदि इस मुद्दे पे जागरूकता प्रसार करना चाहते है तो उस वीडियो को डाले बिना अपनी बात कहें।)

संकर्षण शुक्ला

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